उसका जो गर नज़ारा हो...
तो मौत भी हमको गवारा हो...
तड़प में कैफ मिलने लगे...
पतंगे को जो दिए का इशारा हो...
रात-ओ-आफताब की मोहब्बत...
ज्यूं जुदाई में इश्क का शरारा हो...
शहर भीड़ ने पुछा आंसू का सबब...
डूबते को जैसे तिनके का सहारा हो...
भावार्थ...
तो मौत भी हमको गवारा हो...
तड़प में कैफ मिलने लगे...
पतंगे को जो दिए का इशारा हो...
रात-ओ-आफताब की मोहब्बत...
ज्यूं जुदाई में इश्क का शरारा हो...
शहर भीड़ ने पुछा आंसू का सबब...
डूबते को जैसे तिनके का सहारा हो...
भावार्थ...
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