एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Tuesday, May 24, 2016
छुट्टियाँ
आज कल की छुट्टियाँ भी क्या अजीब हैं
जब भी लौटा हूँ इनसे थक कर लौटा हूँ
भावार्थ
२४/०५/२०१६
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