निवाले को जो तरसते रहे
आज बूँद भर को प्यासे हैं
तू करम करेगा एक दिन
लगता है की बस दिलासे हैं
क्यूँ हुआ है बेरहम तू मौला
कर दे बन्दों पे रहम तू मौला
प्यास की तड़प तो देखो
लब सूख कर चरमराने लगे
बोझिल हो रही है नजरें
कंठ फूट कर लड़खड़ाने लगे
पानी देखो दर्द बन बैठा
प्यास बन गयी है बीमारी
गाढ़ा हो गया खून सबका
कंठ ने है फिर चीख मारी
दरिया को जमीं निगल गयी
फट पड़ा जमीं का सीना
बाँझ हो गए सब बादल
बड़ा मुश्किल हुआ है जीना
कुएं कुंडली मार गए
नहर का नहीं है निशिान
तालाब वीराने हो गए
सब खेत हुए हैं शमशान
आज बूँद भर को प्यासे हैं
तू करम करेगा एक दिन
लगता है की बस दिलासे हैं
क्यूँ हुआ है बेरहम तू मौला
कर दे बन्दों पे रहम तू मौला
प्यास की तड़प तो देखो
लब सूख कर चरमराने लगे
बोझिल हो रही है नजरें
कंठ फूट कर लड़खड़ाने लगे
क्यूँ हुआ है बेरहम तू मौला
कर दे बन्दों पे रहम तू मौला
प्यास बन गयी है बीमारी
गाढ़ा हो गया खून सबका
कंठ ने है फिर चीख मारी
क्यूँ हुआ है बेरहम तू मौला
कर दे बन्दों पे रहम तू मौला
फट पड़ा जमीं का सीना
बाँझ हो गए सब बादल
बड़ा मुश्किल हुआ है जीना
क्यूँ हुआ है बेरहम तू मौला
कर दे बन्दों पे रहम तू मौला
कुएं कुंडली मार गए
नहर का नहीं है निशिान
तालाब वीराने हो गए
सब खेत हुए हैं शमशान
क्यूँ हुआ है बेरहम तू मौला
कर दे बन्दों पे रहम तू मौला
भावार्थ
१९/०५/२०१६
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