Saturday, May 14, 2016

बहुत दूर तलक है आ चुका तू अब लौट चल

बहुत दूर तलक है आ चुका तू अब लौट चल
वजूद ख़ाक में है मिटा चुका तू अब लौट चल

छोड़ दे तू उन बेपरवाह खाईशों  का दामन
तोड़ से ये अरमान के खोखले आशियाने
सराब-ए- सफर था ये तेरा तू अब लौट चल
बहुत दूर तलक है आ चुका तू अब लौट चल

बहुत दूर तलक है आ चुका तू अब लौट चल
वजूद ख़ाक में है मिटा चुका तू अब लौट चल

अजनबी चेहरों में कभी हमराज़ नहीं मिलते
अंजान शहरों में  यूँ ही आशियाने नहीं मिलते
नहीं मिलेगा हमनवाँ कोई तू अब लौट चल
बहुत दूर तलक है आ चुका तू अब लौट चल

बहुत दूर तलक है आ चुका तू अब लौट चल
वजूद ख़ाक में है मिटा चुका तू अब लौट चल

जूनू सफर का तेरा अब जर्द हो चुका शायद 
मजा परवाज़ का अब  दर्द हो चुका शायद
हो गयी सहर जिंदगी की तू अब लौट चल
बहुत दूर तलक है आ चुका तू अब लौट चल

बहुत दूर तलक है आ चुका तू अब लौट चल
वजूद ख़ाक में है मिटा चुका तू अब लौट चल

भावार्थ
१४/०५/२०१६







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