एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Wednesday, June 8, 2016
जेहन नहीं दिल बोलता है आदमी सच्चा ही होगा
हर तरफ दुश्मन है उसके आदमी अच्छा ही होगा
जेहन नहीं दिल बोलता है आदमी सच्चा ही होगा
भावार्थ !!!
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