बच्चो पे लदा बचपन क्यों है...
उजड़ा हुआ ये गुलशन क्यों है...
पल से बने दिन दिन से बने साल....
गुजरता जा रहा लम्हा हर कमाल...
खुदा तेरी इनायत कम क्यों है...
बच्चों पे लदा बचपन क्यों है...
लोरी सुनने वाले लोरी सुनाएं...
खुल के हसने वाले क्यों रोते जाएँ...
तकदीर से इनकी अनबन क्यों है...
बच्चो पे लदा बचपन क्यों है...
सजा किस बात की पाए तू...
हादसे सी जिंदगी क्यों जिए जाए तू...
तेरी कोमल राहों में अड़चन क्यों है...
बच्चो पे लदा बचपन क्यों है...
भावार्थ...
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