Monday, February 20, 2012

तन्हाई !!!

आज फिर तन्हाई ने टटोला मुझे...
मालूम है क्या मिला उसको...
तुम्हारी यादो के कुछ गुच्छे ...
धडकनों में बेसब्री की पोटली...
आँखों में गम की लड़ियाँ...
दिल में तड़प के पुलिंदे...
साँसों में गुथा तुम्हारा नाम...
रगों में घुला तुम्हारा वजूद...
पलकों में बंधा तुम्हारा इंतज़ार...
होठो पे चढ़ा तुम्हारा खुमार...
हाथो में उकेरी तुम्हारी लकीरें...
बालो में उँगलियों के निशाँ..
और आईने में तुम्हारी सूरत...
ये सब देख लौट गयी तन्हाई...
मुझे फिर तनहा छोड़ कर...

भावार्थ...

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