दूर रहकर न करो बात करीब आ जाओ...
याद रह जाएगी ये रात करीब आ जाओ...
एक मुद्दत से तमन्ना थी तुम्हें छूने की...
आज बसमें नहीं जज्बात करीब आ जाओ...
सर्द झोंको से भड़कते हैं बदन में शोले...
जान ले लेगी ये बरसात करीब आ जाओ...
इस कदर हमसे झिझकने के जरूरत क्या है....
जिंदगी भर का है अब साथ करीब आ जाओ...
दूर रहकर न करो बात करीब आ जाओ...
याद रह जाएगी ये रात करीब आ जाओ...
साहिर लुधियानवी...
याद रह जाएगी ये रात करीब आ जाओ...
एक मुद्दत से तमन्ना थी तुम्हें छूने की...
आज बसमें नहीं जज्बात करीब आ जाओ...
सर्द झोंको से भड़कते हैं बदन में शोले...
जान ले लेगी ये बरसात करीब आ जाओ...
इस कदर हमसे झिझकने के जरूरत क्या है....
जिंदगी भर का है अब साथ करीब आ जाओ...
दूर रहकर न करो बात करीब आ जाओ...
याद रह जाएगी ये रात करीब आ जाओ...
साहिर लुधियानवी...
No comments:
Post a Comment