जब आंसू गालो तक आयेंगे....
जब दर्द गले में भर आयेंगे....
जब सेलाब आँखों से उतर आयेंगे...
वही हद है उल्फत की...
वही हद है मोहब्बत की...
जब ख़ामोशी इर्द गिर्द चिल्लाएगी....
जब तन्हाई बाहँ खोले बुलाएगी...
जब बदहोशी जेहेन में समाएगी...
वही हद है उल्फत की...
वही हद है मोहब्बत की...
जब बात दीवारों के पार आ जाये...
जब इज्ज़त कूंचो पे उछाली जाये ....
जब किस्सा अफसाना बनता जाये...
वही हद है मोहब्बत की...
वही हद है मोहब्बत की...
भावार्थ
जब दर्द गले में भर आयेंगे....
जब सेलाब आँखों से उतर आयेंगे...
वही हद है उल्फत की...
वही हद है मोहब्बत की...
जब ख़ामोशी इर्द गिर्द चिल्लाएगी....
जब तन्हाई बाहँ खोले बुलाएगी...
जब बदहोशी जेहेन में समाएगी...
वही हद है उल्फत की...
वही हद है मोहब्बत की...
जब बात दीवारों के पार आ जाये...
जब इज्ज़त कूंचो पे उछाली जाये ....
जब किस्सा अफसाना बनता जाये...
वही हद है मोहब्बत की...
वही हद है मोहब्बत की...
भावार्थ
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