अँधेरा पुकारे उजारे को
बूँद निहारे किनारे को
धधक रहा हर इक पल
बुझादो वक़्त के पारे को
भंवर है ये साँसों का
थमने को ढूढे सहारे को
तू ही खुदा है जान ले तू
क्यूँ तके चाँद और तारे को
भावार्थ
१७/१०/२०१५
बूँद निहारे किनारे को
धधक रहा हर इक पल
बुझादो वक़्त के पारे को
भंवर है ये साँसों का
थमने को ढूढे सहारे को
तू ही खुदा है जान ले तू
क्यूँ तके चाँद और तारे को
भावार्थ
१७/१०/२०१५
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