तू आरजू तू तमन्ना
तू हसरत ही नहीं बस
इन खाबो से भी परे
एक शख्शियत है तेरी
मर्द के एहसासों से परे
एक कवायद है तेरी
तू सुरूर तू चाहत
तू नज़ाकत ही नहीं बस
तेरे अरमान भी तो
नयी परवाज़ रखते हैं
तेरे उनमान भी तो
अपने कई नाम रखते हैं
तू हया तू श्रृंगार
तू मोहब्बत ही नहीं बस
तुझमें दर्द भी रहता है
एक परछाई सी बनकर
आँखों में काजल बहता है
इक तन्हाई सी बनाकर
तू तरंग तू उमंग
तू इबादत ही नहीं बस
तू आरजू तू तमन्ना
तू हसरत ही नहीं बस
तू हसरत ही नहीं बस
इन खाबो से भी परे
एक शख्शियत है तेरी
मर्द के एहसासों से परे
एक कवायद है तेरी
तू सुरूर तू चाहत
तू नज़ाकत ही नहीं बस
तेरे अरमान भी तो
नयी परवाज़ रखते हैं
तेरे उनमान भी तो
अपने कई नाम रखते हैं
तू हया तू श्रृंगार
तू मोहब्बत ही नहीं बस
तुझमें दर्द भी रहता है
एक परछाई सी बनकर
आँखों में काजल बहता है
इक तन्हाई सी बनाकर
तू तरंग तू उमंग
तू इबादत ही नहीं बस
तू आरजू तू तमन्ना
तू हसरत ही नहीं बस
भावार्थ
२२/०५/२०१४
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