रात की कैद में ये चाँद और तारे हैं
जरा देखिये गौर से ये अक्स हमारे हैं
दरिया ये तेरे खाबो का तुझे ले डूबेगा
जिसने की इबादत बस वो ही किनारे हैं
ए पाखी परवाज़ जरा तू नीची रख
कल ही तूफ़ान ने कई पंख उखाड़े हैं
लड़खड़ा रहे हैं जो कल गिर जाएंगे
कुछ इस तरह के हुए वजूद हमारे हैं
रफ़्तार जरा तू धीमी कर इस जीने की
जो भागे हैं जोरो से वो दौड़ को हारे हैं
रात की कैद में ये चाँद और तारे हैं
जरा देखिये गौर से ये अक्स हमारे हैं
भावार्थ
१२/०५/२०१५
जरा देखिये गौर से ये अक्स हमारे हैं
दरिया ये तेरे खाबो का तुझे ले डूबेगा
जिसने की इबादत बस वो ही किनारे हैं
ए पाखी परवाज़ जरा तू नीची रख
कल ही तूफ़ान ने कई पंख उखाड़े हैं
लड़खड़ा रहे हैं जो कल गिर जाएंगे
कुछ इस तरह के हुए वजूद हमारे हैं
रफ़्तार जरा तू धीमी कर इस जीने की
जो भागे हैं जोरो से वो दौड़ को हारे हैं
रात की कैद में ये चाँद और तारे हैं
जरा देखिये गौर से ये अक्स हमारे हैं
भावार्थ
१२/०५/२०१५
No comments:
Post a Comment