न मस्जिद है न मंदिर है
जो है तेरे दिल के अंदर है
ओख प्यासे की तू भर
वो उसके लिए समंदर है
कर सके जो दवा-ए-दर्द
तू ही सच्चा पैगम्बर है
जीत सके तो दिल को जीत
जो तू असल सिकंदर है
भावार्थ
१०/०५/२०१५
जो है तेरे दिल के अंदर है
ओख प्यासे की तू भर
वो उसके लिए समंदर है
कर सके जो दवा-ए-दर्द
तू ही सच्चा पैगम्बर है
जीत सके तो दिल को जीत
जो तू असल सिकंदर है
भावार्थ
१०/०५/२०१५
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