है पहेली एक जिंदगी
जिसे तू बूझता फिरता
भरम है तेरे जेहेन में
जिसे तू सूझता फिरता
हराएगा तुझे वो ही
जिसे तू जीतता फिरता
हैं पत्थर के ये पैगम्बर
जिसे तू पूजता फिरता
खुदा क्या है तू खुद है
जिसे तू ढूढ़ता फिरता
भावार्थ
०३/०५/२०१५
जिसे तू बूझता फिरता
भरम है तेरे जेहेन में
जिसे तू सूझता फिरता
हराएगा तुझे वो ही
जिसे तू जीतता फिरता
हैं पत्थर के ये पैगम्बर
जिसे तू पूजता फिरता
खुदा क्या है तू खुद है
जिसे तू ढूढ़ता फिरता
भावार्थ
०३/०५/२०१५
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