चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू छोड़
कोई है कछुआ कोई खरा है
अपनी खूबी से हर कोई भरा है
क्यों करते एक दूजे से होड़
चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू छोड़
पल के रिश्ते पल के नाते
अपनी डगर हम सब हैं जाते
ये दुनिया एक बस कि तरह
जो साथ चले उतरे अपने मोड़
चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू छोड़
सुख दुःख राग दुवेश तू छोड़
कोई है कछुआ कोई खरा है
अपनी खूबी से हर कोई भरा है
क्यों करते एक दूजे से होड़
चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू छोड़
अपनी डगर हम सब हैं जाते
ये दुनिया एक बस कि तरह
जो साथ चले उतरे अपने मोड़
चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू छोड़
स्वांस की तरह माया बदले
स्वांग की तरह काया बदले
जर्रा जर्रा नशवर दुनिया
भीतर भीतर अपनी दृष्टि मोड़
चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू छोड़
सुख दुःख राग दुवेश तू छोड़
~ भावार्थ ~
२३ मार्च २०१४
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