Sunday, March 23, 2014

चार दिवस युही कट जायेंगे

चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू  छोड़

कोई  है कछुआ कोई खरा है
अपनी खूबी से हर कोई भरा है
क्यों करते एक दूजे से होड़

चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू  छोड़

पल के रिश्ते पल के नाते
अपनी डगर हम सब हैं जाते
ये दुनिया एक बस कि तरह
जो साथ चले उतरे  अपने मोड़

चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू  छोड़

स्वांस की  तरह माया बदले 
स्वांग  की तरह काया  बदले 
जर्रा जर्रा नशवर दुनिया 
भीतर भीतर अपनी दृष्टि मोड़ 

चार दिवस युही कट जायेंगे
सुख दुःख राग दुवेश तू  छोड़ 

~ भावार्थ ~ 
२३ मार्च २०१४ 





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