गाँव में छोड़ आये जो हज़ार गज़ की बुजुर्गों कि हवेली
वो शहर में सौ गज़ में रहने को खुद की तरक्की कहते हैं.…
इतने दूर थे कि माँ के दाग में भी शामिल न हो पाये
वो विदेशों में जाकर रहने को खुद की तरक्की कहते हैं
~ भावार्थ ~
वो शहर में सौ गज़ में रहने को खुद की तरक्की कहते हैं.…
इतने दूर थे कि माँ के दाग में भी शामिल न हो पाये
वो विदेशों में जाकर रहने को खुद की तरक्की कहते हैं
~ भावार्थ ~
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