Monday, March 31, 2014

तरक्की कहते हैं

गाँव में छोड़ आये जो  हज़ार गज़ की  बुजुर्गों कि हवेली
वो शहर में सौ गज़ में रहने को खुद की तरक्की कहते हैं.…

इतने दूर थे कि माँ के दाग में भी शामिल न हो पाये
वो विदेशों में जाकर रहने को खुद की  तरक्की कहते हैं

~ भावार्थ ~











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