पँख बिना अब उड़ना सिखा दे
कांटे में दे सुकून ओ मौला
तेरी रहमत की चादर उढ़ा दे
थाम ले तू मेरा जूनून ओ मौला
चमकते चेहरे और काली रूह
ये काग भी करता मीठी कूह
भरम मिटा मुझे मुझ से मिला दे
अपना करम तू दिखा ओ मौला
पँख बिना अब उड़ना सिखा दे
कांटे में दे सुकून ओ मौला
भाग पे कालिख लगी हुई है
मत पे माया चढ़ी हुई है
खाबो से मेरे अँधियारा मिटा दे
नूर-ए-मुनव्वर जगा ओ मौला
पँख बिना अब उड़ना सिखा दे
कांटे में दे सुकून ओ मौला
कांटे में दे सुकून ओ मौला
तेरी रहमत की चादर उढ़ा दे
थाम ले तू मेरा जूनून ओ मौला
चमकते चेहरे और काली रूह
ये काग भी करता मीठी कूह
भरम मिटा मुझे मुझ से मिला दे
अपना करम तू दिखा ओ मौला
पँख बिना अब उड़ना सिखा दे
कांटे में दे सुकून ओ मौला
भाग पे कालिख लगी हुई है
मत पे माया चढ़ी हुई है
खाबो से मेरे अँधियारा मिटा दे
नूर-ए-मुनव्वर जगा ओ मौला
पँख बिना अब उड़ना सिखा दे
कांटे में दे सुकून ओ मौला
~ भावार्थ ~
२ मार्च २०१४
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