Sunday, October 2, 2011

जाम ऐसा तेरी आँखों से अता हो जाए...

जाम ऐसा तेरी आँखों से अता हो जाए...
होश बाकी  रहे और नशा भी हो जाए...

इस तरह मेरी तरफ मेरा मसीहा देखे...
दर्द दिल ही में रहे और दावा हो जाए..

जिंदगानी को मिले कोई हुनर ऐसा भी...
सब में मौजूद भी हो और फना हो जाए...

मोजजा काश दिखा दे ये निगाहें मेरी...
लफ्ज़ महफूज़ रहे बात अदा हो जाए...

डा. नजहत अंजुम !!!




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