तमन्नाओं के बादल...
जो जेहेन में उमडे मेरे ...
मैंने थामे रखे है ...
मोहबत के हर्फ़ ...
जो मैंने उकेरे नहीं कभी ...
पन्नो में छुपा रखे हैं ...
बे-इन्तेआह इश्क की तलब ...
जो मेरे आगोश को हुई...
मैंने दिल में दबा रखी है...
इज़हार के अल्फाज़ ...
जो जुबान कह न सकी...
मैंने लबो में समां रखे हैं...
सिर्फ़ तेरे लिए...
मैंने मोहब्बत महफूज़ रखी ...
सिर्फ़ तेरे लिए...
तू जिंदगी बन के आए ...
और जी सकूं सभी एहसासों को...
...भावार्थ
No comments:
Post a Comment