जेहेन में अल्फाजो को तोलते-2
तन्हाई में ख़ुद से युही बोलते -2...
स्याही से दुनिया के राज खोलते-2...
मैं शायर बन गया !!!
उसकी सूरत को सांचे में ढालते-2...
उसके खाबो को आंखों में पालते-2...
उसकी यादो को सीने में संभालते-2...
मैं शायर बन गया !!!
खुदकुशी में जिंदगी की आस लिए...
कुछ बिखरे सपने अपने ख़ास लिए...
टूटे रिश्ते के निशाँ कुछ पास लिए...
मैं शायर बन गया !!!
लहू में मज़हब के रंग को छांटते-२...
मुर्दों के जंगल मैं जिंदगी तलाशते-2...
पत्थर मैं खुदा की शक्ल तराशते-2 ...
मैं शायर बन गया !!!
मशीन मैं जिंदगी झोंकते -२...
बहरो की दुनिया मैं भोंकते-2...
अजनबी दोस्तों से चोंकते-२
मैं शायर बन गया !!!
...भावार्थ
1 comment:
बहुत खूब कहा है आपने ... बधाई
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