एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Wednesday, September 30, 2009
आगाज़ !!!
आओगी जब जिंदगी मैं...
सुबह खिलखिलाने लगेगी... शाम सवांर जाने लगेगी.... रात मचल जाने लगेगी... हवा उमड़ जाने लगेगी.... खुशी नज़र आने लगेगी.... बदरी बरस जाने लगेगी...
No comments:
Post a Comment