Monday, October 19, 2015

अक्टूबर की सुबह

कौन कहता है बदलाव अच्छा नहीं होता
अक्टूबर की सुबह सैर पे जा के तो देखो

अक्टूबर की सुबह
मतलब
सर्दी की पहली चहल पहल
हाफ स्वेटर का आगाज़
हर पल चाय की उठती तलब
खुद पे इतराते हुए फूल
हाथ मलते हुए लोग
लम्बी सांस लेते सैर पे निकले लोग
गर घर से एक दम निकल जाओ
तो रोंगटे खड़े हो जाएं
कुछ ऐसी ही सुभावनी है
अक्टूबर की सुबह

भावार्थ
२२/१०/२०१५



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