एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Thursday, August 25, 2016
सफर-ए - जिंदगानी
तू दिल के रास्ते तो चल
बड़ी मंजिले हैं पानी
डूबकर निकलना ही तो
है सफर-ए - जिंदगानी
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