एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Monday, August 8, 2016
बदहवासी
बदहवासी में भी होश रखा मैंने... ये क्या कुछ कम है तुझे देखने के बाद...
भावार्थ
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