उसकी जुबाँ ने कहा जाइए
पर निगाह ने कहा पास आईये
नहीं गवारा मैं रहूँ इर्द गिर्द
कहा बाँहों में आकरपिघल जाइए
ख़ामोशी-ए-तकालूम क्या खूब थी
ज़माने के लिए होठ तो हिलाइए
मोहब्बत नहीं है दिल में मेरे लिए
कोई देखे जो गर तो ज़रा मुस्कुराइए
वक़्त की तरह जिंदगी बैचैन है
कुछ एक पल के लिए ठहर जाइए
अब तेरी कशिश-ए-इश्क़ ही छाँव है
दर्द की धुप से हमको बचाइये
भावार्थ
पर निगाह ने कहा पास आईये
नहीं गवारा मैं रहूँ इर्द गिर्द
कहा बाँहों में आकरपिघल जाइए
ख़ामोशी-ए-तकालूम क्या खूब थी
ज़माने के लिए होठ तो हिलाइए
मोहब्बत नहीं है दिल में मेरे लिए
कोई देखे जो गर तो ज़रा मुस्कुराइए
वक़्त की तरह जिंदगी बैचैन है
कुछ एक पल के लिए ठहर जाइए
अब तेरी कशिश-ए-इश्क़ ही छाँव है
दर्द की धुप से हमको बचाइये
भावार्थ
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