Tuesday, October 26, 2010

बुद्धू जी के लिए !!!

चाँद से खफा हूँ...
न जाने कहाँ जा छुप के बैठा है बुद्धू...

होठ को प्यास है...
उसके आने की आस है...
वोह जो तोफहा ख़ास है...
जाने कहाँ जा के बैठा है बुद्धू...

रिवाज़ नहीं निभा रही...
प्यार निभा रही हूँ...
चाँद ही तो गवाह है ...
न जाने कहाँ जा छुप के बैठा है बुद्धू ...

रिश्तो की डोर को सँभालते...
उनके चेहरे में दुनिया तलाशते...
उम्र देनी है अपने प्यार को...
लो आ गया बुद्धू...

चलो बुद्धू जी अब पानी पिला दो...
अपने हाथो से..


...भावार्थ

करवा चौथ ...

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

संजय भास्‍कर said...

सुंदर भाव..... और उतनी ही सुंदर प्रस्तुति.....
करवा चौथ की शुभकामनायें आपको