जिंदगी की भीड़ में ...
बैठा हूँ तन्हाई ओढ़े...
शोर के इस दौर में ...
बैठा हूँ ख़ामोशी ओढ़े...
तुम चली आओ...2
तुम चली आओ...2
बढ़ते हैं उनके कदम...
और मैं हूँ यहाँ थमा...
मौज मैं है हर कोई ...
आँख मेरी है नम जरा ...
तुम चली आओ...2
तुम चली आओ...2
टूट कर हैं वो जुड़ रहे...
मैं हूँ यहाँ बिखरा पड़ा...
चाहते उनको मिल रहीं...
और गम से मैं हूँ भरा...
तुम चली आओ...2
तुम चली आओ...2
...भावार्थ
1 comment:
... bahut sundar !!!
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