कंपकपाती है वो !!!
आँखों के खौफ से...
सहम जाती है वो...
रिवाजो में लिपटी...
कंपकपाती है वो...
तन्हाई की गरज से...
सहम जाती है वो...
उन पैमानों से नपी...
इन रिश्तो से डरी...
हर दहलीज़ से चली...
मुड़ना मौत हो जैसे...
तैरता खौफ हो जैसे...
हर नज़र जो भी उठी...
कंपकपाती है वो...
सहम जाती है वो...
...भावार्थ
2 comments:
achchhi bhavabhivyakti.
आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,
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