Sunday, March 15, 2009

एहसास !!!

ये बादल जिनका रुख इधर को है...
अब तक कभी नहीं देखे मैंने ...
मद्धम से तैरते हुए आए ...
और फिजा बन कर छा गए ....
वो सुबह को छु कर आए थे...
उनमें वो रेशमी नमी थी...
रंग ऐसा की रंगोली जैसे नाच जा रही हो...
पाक इतना जैसे कोई आरती गा रही हो...
आसमा हैरान है इस नवेले बादल पे...
जिंदगी का मौसम बदलने वाला है शायद....

भावार्थ...
१५ मार्च २००९,
प्रेरणा : प्राची

2 comments:

Anonymous said...

hai! keep rocking!!!:)

Anonymous said...

shayad nahin ab to confirm hai!
keep rocking!!:)