Wednesday, March 18, 2009

बातें !!!

कभी कभी जब दिल भारी सा लगता है...
अल्फाज़ ख़ुद ब ख़ुद बनने लगते हैं...
दर्द आँखों के किनोरो से , दिल के कौने से...
हर्फ़ लाता है और पिरो देता है बातो में...

कभी कभी खुशो चेहरे से जाहिर होती है...
तो कभी मुस्कान से तो कभी दिल में...
साड़ी खुशियाँ बायाँ होने को जब बेताब होती है...
तब चमकती आँखें, गालो की लाली...
लबो की थिरक चुन लाती है खुशी...
और भर देती है जुबा को मिसरी सी बातो से...

कभी कभी युही कुछ भी कहने को जी करता है...
वो बातें जो तुम शायद कभी नहीं कहते...
पहनावे की बातें, खाने की बातें...
किसी ने कुछ कहा, किसी को कुछ कहा...
कुछ ऐसा लगा, कुछ वैसा लगा...
दिन भर क्या किया , कैसे किया....
और क्या चल रहा है...ऐसी कितनी ही बातें...
जुबा पे आती है जो जेहेन में भी नहीं आती...

बातें अधूरी है जब तक उनको कोई सुने न...
ख़ुद से बातें करने वाले को पागल कहते हैं लोग...

आज तुम हो...तो में भी बातें करने लगा हूँ !!!
मेरी बातों की भी हमसफ़र हो तुम...

भावार्थ...

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