Saturday, May 31, 2014

मौत अपनी मैं अपने हाथ करता हूँ

मौत अपनी मैं अपने हाथ करता हूँ
ज्यादती खुद मैं अपने साथ करता हूँ

मौत अपनी मैं अपने हाथ करता हूँ

भीड़ से लेकर पहड़ो की तन्हाई तक
सुकूँ की खायिश मैं दिन रात करता हूँ

मौत अपनी मैं अपने हाथ करता हूँ

लत गर हद में रहे फिर भी बेहतर है
रोज हद के पार मैं अपने हालात करता हूँ

मौत अपनी मैं अपने हाथ करता हूँ

मेरा हमदम भी बस एक बात पे है खफा
मैं बावरा  भी रोज  वही बात करता हूँ

मौत अपनी मैं अपने हाथ करता हूँ

जो था वो सब लत में मैंने बेच दिया
अब नीलम मैं अपने जज्बात करता हूँ

मौत अपनी मैं अपने हाथ करता हूँ

जुस्तजू जिंदगी की भला मैं कसी करूँ
जब भी करता हूँ मैं मरने की बात करता हूँ

मौत अपनी मैं अपने हाथ करता हूँ

भावार्थ

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