ए खुदा तू फ़कीर बना मैनु
या खुद में ही करदे फना मैनु
रंगीन सी दुनिया में अब रंग नहीं
मरासिम भी मेरे अब संग नहीं
बाकी भी फतह को कोई जंग नहीं
ए खुदा तू फ़कीर बना मैनु
इश्क़ नसीब हुआ हलल बनकर
सुकून नसीब हुआ खलल बनकर
दर्द नसीब हुआ मुझे वसल बनकर
ए खुदा तू फ़कीर बना मैनु
कुनबा भी मुझे अब भीर सा लागे
जीना शहर का मुझको कीर सा लागे
मुस्कुराना भी चाहूँ तो पीर सा लागे
ए खुदा तू फ़कीर बना मैनु
भावार्थ
या खुद में ही करदे फना मैनु
रंगीन सी दुनिया में अब रंग नहीं
मरासिम भी मेरे अब संग नहीं
बाकी भी फतह को कोई जंग नहीं
ए खुदा तू फ़कीर बना मैनु
इश्क़ नसीब हुआ हलल बनकर
सुकून नसीब हुआ खलल बनकर
दर्द नसीब हुआ मुझे वसल बनकर
ए खुदा तू फ़कीर बना मैनु
कुनबा भी मुझे अब भीर सा लागे
जीना शहर का मुझको कीर सा लागे
मुस्कुराना भी चाहूँ तो पीर सा लागे
ए खुदा तू फ़कीर बना मैनु
भावार्थ
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