चकाचौंध हुए सब शहर
पर भीतर काजल कोठरी
फूंके लक्ष्मी सरे राह पे
खाली भूखों की टोकरी
व्योम पुटाश से है भरा
हवा में बस गयी गंध
आज पाखी जो भी उड़ा
कुछ बधिर हुए कुछ अंध
है राम लौटने की ख़ुशी
तू दे रावण को सिधार
काम क्रोध जो हैं बसे
तू उनको जला के मार
दीप जला स्नेह का
दे सेवा से तू सजाय
ध्यान लगा तू इष्ट पे
अर दिवाली ले मनाय
भावार्थ
३०/१०/२०१६
शुभ दीपावली २०१६
पर भीतर काजल कोठरी
फूंके लक्ष्मी सरे राह पे
खाली भूखों की टोकरी
व्योम पुटाश से है भरा
हवा में बस गयी गंध
आज पाखी जो भी उड़ा
कुछ बधिर हुए कुछ अंध
है राम लौटने की ख़ुशी
तू दे रावण को सिधार
काम क्रोध जो हैं बसे
तू उनको जला के मार
दीप जला स्नेह का
दे सेवा से तू सजाय
ध्यान लगा तू इष्ट पे
अर दिवाली ले मनाय
भावार्थ
३०/१०/२०१६
शुभ दीपावली २०१६
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