एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Friday, January 20, 2017
माया मन आकाश है थाह नहीं है कोय
माया मन आकाश है थाह नहीं है कोय
मैं मरे तो माया मिटे बंधन रहे न कोय
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