हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार
इस करवट कभी उस करवट
लहरों की छाती को थामे केवट
लेकर दो पतवार
नैया थक गयी हार
हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार
बूझे नदी में न कोई डगर
मंजिल दीसे सबको मगर
सोचत सब मझधार
नैया थक गयी हार
हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार
उतरे सब पर थाह न जानी
अपने मन की चाह न जानी
भूल भुलैया ये संसार
नैया थक गयी हार
हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार
नैया थक गयी हार
इस करवट कभी उस करवट
लहरों की छाती को थामे केवट
लेकर दो पतवार
नैया थक गयी हार
हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार
बूझे नदी में न कोई डगर
मंजिल दीसे सबको मगर
सोचत सब मझधार
नैया थक गयी हार
हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार
अपने मन की चाह न जानी
भूल भुलैया ये संसार
नैया थक गयी हार
हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार
भावार्थ
३०/१२/२०१५
३०/१२/२०१५
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