मंजिल करीब थी और अपने करीब थे
दर्द जुदाई का विदा लेने ही वाला था
नूर-ए-खुदा का खुर्शीद सिराहने पर था
तिलिस्म माया का टूटने ही वाला था
कि किसी ने मुझे नींद से जगा दिया...
भावार्थ
३१/१२/२०१५
दर्द जुदाई का विदा लेने ही वाला था
नूर-ए-खुदा का खुर्शीद सिराहने पर था
तिलिस्म माया का टूटने ही वाला था
कि किसी ने मुझे नींद से जगा दिया...
भावार्थ
३१/१२/२०१५
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