तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में
मत पौंछ आँखों से काजल की लकीर ये काली
मत मिटा तू लबो पर बिखेरी सुर्ख़ ये लाली
तू जरा श्रृंगार तो कर
तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में
तेरी हंसी में छुपा जो गम है वो मेरी याद है
पा कर सबकुछ जो कम है वो मेरी याद है
जरा सा ऐतबार तो कर
तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में
मेरे दर्द को अलफ़ाज़ बन पड़ना है नसीब
तेरे दर्द को आँखों से फट पड़ना है नसीब
तू दर्द का इज़हार तो कर
तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में
तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में
होके बेसब्र टूटूंगा तेरे आगोश में
भावार्थ
७/६/२०१५
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