आज कल आप साथ चलते नहीं
आज कल लोग हमसे जलते नहीं
उनको पत्थर भी किस तरह कह दूँ
वो किसी तौर भी पिघलते नहीं
आज कल लोग हमसे जलते नहीं
शहरों शहरों हमारा चर्चा है
और हम घर से अब निकलते नहीं
उनको दुनिया कहेगी दीवाना
रुख बदलती है जो बदलती नहीं
जगजीत सिंह -
आज कल लोग हमसे जलते नहीं
उनको पत्थर भी किस तरह कह दूँ
वो किसी तौर भी पिघलते नहीं
आज कल लोग हमसे जलते नहीं
शहरों शहरों हमारा चर्चा है
और हम घर से अब निकलते नहीं
उनको दुनिया कहेगी दीवाना
रुख बदलती है जो बदलती नहीं
जगजीत सिंह -
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