इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
अपने मोहल्ले के हम लाट साब...
इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
तन तनाकर हैं चलते ...
भन भनाकर है चलते ...
खुद को समझते हम बेहिसाब...
अपने मोहल्ले के हम लाट साब...
इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
पापा की बक बक...
मम्मी की चक चक...
कौन रखे इन सब का हिसाब...
अपने मोहल्ले के हम लाट साब
इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
ये कौन है वो कौन है...
वो पूछते और हम मौन हैं ...
सच्चे सवालों के देते झूठे जवाब...
अपने मोहल्ले के हम लाट साब...
इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
भावार्थ...
अपने मोहल्ले के हम लाट साब...
इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
तन तनाकर हैं चलते ...
भन भनाकर है चलते ...
खुद को समझते हम बेहिसाब...
अपने मोहल्ले के हम लाट साब...
इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
पापा की बक बक...
मम्मी की चक चक...
कौन रखे इन सब का हिसाब...
अपने मोहल्ले के हम लाट साब
इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
ये कौन है वो कौन है...
वो पूछते और हम मौन हैं ...
सच्चे सवालों के देते झूठे जवाब...
अपने मोहल्ले के हम लाट साब...
इमली सी दुनिया लड्डू से खाब...
भावार्थ...
1 comment:
very cute and true...enjoyed reading it ..
after a long time u have written very light (of course meaningful)poetry
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