Friday, June 22, 2012

जूनून-ए मर्दा !!!

वो पड़ी धुल को भी एक गुबार बनाएगा...
नन्हे दिए को आंधियों में भी जलाएगा ...
हथेली पे सरसों भी नहीं उगती यु तो...
वो उन्ही लकीरों से सल्तनत बनाएगा...

कोई तो पलक उठाओ कोई तो नज़र फेरो...
कोई तो लब से बोलो कोई तो अधर उकेरो...
सच को सच नहीं कह सकते तो मुर्दा हो...
रगों में बहते लहू आँखों से भर भर बिखेरो...

भावार्थ

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