सदी से इंतज़ार था जिसका वो पल में गुज़र गया...
जेहें का उफनता दरिया एक लम्हे में उतर गया...
आँखों ने रोका, इशारो ने समझाया बहुत जिसे...
बड़ा शातिर था अजनबी वो दिल में उतर गया...
सांस से सांस बोलती रही गूंगे की तरह लम्हे को...
न जाने अल्फाज बुनने का वो हुनर किधर गया...
सदी से इंतज़ार था जिसका वो पल में गुज़र गया...
जेहें का उफनता दरिया एक लम्हे में उतर गया...
भावार्थ...
जेहें का उफनता दरिया एक लम्हे में उतर गया...
आँखों ने रोका, इशारो ने समझाया बहुत जिसे...
बड़ा शातिर था अजनबी वो दिल में उतर गया...
सांस से सांस बोलती रही गूंगे की तरह लम्हे को...
न जाने अल्फाज बुनने का वो हुनर किधर गया...
सदी से इंतज़ार था जिसका वो पल में गुज़र गया...
जेहें का उफनता दरिया एक लम्हे में उतर गया...
भावार्थ...
3 comments:
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
very touching..liked it!!!
very touching..liked it!!!
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