Monday, December 27, 2010

दीदार-ए-साईं !!!

दिन का रास्ता है मुश्किल...
शाम-ए-मंजिल आ ही जाए...
नजरो में बसता है मेरा दिल..
दीदार-ए-साईं  हो ही जाए...

इससे पहले रूह धुंए में खो जाए...
इससे पहले काय लौ हो जाए...
जागता हुआ ये वजूद सो जाए...
दीदार-ए-साईं हो जाए...

भावार्थ...

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