जब बर्फ हवा में घुली हो तो लगता है...
जैसे नाक तक आ कर सांस रुकी हो...
जब बर्फ बरसती बूंदों में घुली हो तो लगता है...
हर चीज़ पर जैसे रुई सी बिछी हो...
जब बर्फ धुंध में घुली हो यो लगता है...
जैसे आप के आस पास कोई पर्दा गिरा हो...
मैंने बर्फ को...
हिमालय के सीने से सटे..
चीर के पेड़ों के ऊपर लादे...
दूर तक रास्तों पर बिछे...
पिछले तीन दिनों से देखा है...
मगर आज सुबह जब आँख खुली...
तो धूप की किरण से सजी ...
हवा आस पास लहराती ...
बूंदे फिर पेड़ से टपकती ..
धुंध फिर शीशे सी चमकती ...
एक बार फिर नज़र आई ..
चाय की प्याली लिए...
मैंने हमसफ़र को जगाया तो लगा ..
मनाली की बर्फ में धूप की किरन...
नए साल का तोहफा हो ...
भावार्थ ...
जैसे नाक तक आ कर सांस रुकी हो...
जब बर्फ बरसती बूंदों में घुली हो तो लगता है...
हर चीज़ पर जैसे रुई सी बिछी हो...
जब बर्फ धुंध में घुली हो यो लगता है...
जैसे आप के आस पास कोई पर्दा गिरा हो...
मैंने बर्फ को...
हिमालय के सीने से सटे..
चीर के पेड़ों के ऊपर लादे...
दूर तक रास्तों पर बिछे...
पिछले तीन दिनों से देखा है...
मगर आज सुबह जब आँख खुली...
तो धूप की किरण से सजी ...
हवा आस पास लहराती ...
बूंदे फिर पेड़ से टपकती ..
धुंध फिर शीशे सी चमकती ...
एक बार फिर नज़र आई ..
चाय की प्याली लिए...
मैंने हमसफ़र को जगाया तो लगा ..
मनाली की बर्फ में धूप की किरन...
नए साल का तोहफा हो ...
भावार्थ ...
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