Tuesday, September 7, 2010

अँधेरे सा शख्श !!!

मेरे साथ एक शख्श रहता है...
जो अँधेरे सा है हू ब हू ...
शायद डर है उसे उजाले से...
जो उसकी खौफनाक सीरत को...
बेपर्दा न कर दे...
रिश्तो की तह को टटोलता...
दिमाग को जुबा से बिना तोले बोलता...
अँधेरे सा वो शख्श ...
ज़माने के बनाये कायदों को किनारे रख...
सपनो की नाव को हकीकत में बदल...
तैरता रहता है जिंदगी के समंदर में...
वो अँधेरे सा शख्श ....

...भावार्थ

3 comments:

गजेन्द्र सिंह said...

क्या बात है, ....
यहाँ भी आइये ........
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_06.html

Sunil Kumar said...

bahut sundar bhavavyakti badhai

संगीता पुरी said...

तैरता रहता है जिंदगी के समंदर में...
वो अँधेरे सा शख्श ....

बहुत बढिया !!