मेरे साथ एक शख्श रहता है...
जो अँधेरे सा है हू ब हू ...
शायद डर है उसे उजाले से...
जो उसकी खौफनाक सीरत को...
बेपर्दा न कर दे...
रिश्तो की तह को टटोलता...
दिमाग को जुबा से बिना तोले बोलता...
अँधेरे सा वो शख्श ...
ज़माने के बनाये कायदों को किनारे रख...
सपनो की नाव को हकीकत में बदल...
तैरता रहता है जिंदगी के समंदर में...
वो अँधेरे सा शख्श ....
...भावार्थ
3 comments:
क्या बात है, ....
यहाँ भी आइये ........
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_06.html
bahut sundar bhavavyakti badhai
तैरता रहता है जिंदगी के समंदर में...
वो अँधेरे सा शख्श ....
बहुत बढिया !!
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