मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो...
मुझे तुम कभी भी भुला न सकोगे...
न जाने मुझे क्यों यकीं हो चला है...
मेरे प्यार को तुम मिटा न सकोगे...
मेरी याद होगी जिधर जाओगे तुम ...
कभी नगमा बन कर कभी बनके आंसूं...
तड़पता हुआ मुझे हर तरफ पाओगे तुम...
शमा जो जलाई है मेरी वफ़ा ने...
बुझाना भी चाहो बुझा न सकोगे...
मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो ...
मुझे तुम दिल से बुला न सकोगे...
कभी नाम बातो में आया जो मेरा...
तो बैचेन हो कर दिल थाम लोगे...
निगाहों में छाएगा गम का अँधेरा...
किसी ने जो पुछा सबब आंसुओं का ...
बताना भी चाहो बता न सकोगे...
मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो...
मुझे तुम कभी भी भुला न सकोगे...
गायक: मेहँदी हसन
एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Saturday, August 21, 2010
मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो...
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1 comment:
wah wah kya baat hai ji sachmuch mehndi hasan ne taar jhanjhana diye!! really nice!!
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