यु जो हर बात पे रूठ जाते हो...
फिर देर तक हमसे नज़रें चुराते हो...
मीठी सी मुस्कान लबो पे लिए...
फिर देर तक हमसे नज़रें चुराते हो...
मीठी सी मुस्कान लबो पे लिए...
मुझे हर दफा चिढाते हो...
मगर मुझो पता है
ये बहाने हैं पास आने के...
मुझे छूने के और प्यार पाने के...
मगर ये एक इस राज़ है
जिसकी सिर्फ मैं राजदार हूँ...
मेरे बाद कौन समझेगा तुम्हारे इशारे...
बस यही सोच कर डर लगता है...
जिसकी सिर्फ मैं राजदार हूँ...
मेरे बाद कौन समझेगा तुम्हारे इशारे...
बस यही सोच कर डर लगता है...
कल क्या होगा जब में न रहूंगी ...
जिंदगी भर के हमसफ़र कुछ साल भर के हैं...
इसलिए कहती हूँ ..
उम्र ढल चुकी है...
उम्र ढल चुकी है...
छोड़ दो अब ये सब...
आदत तुम्हारी ये पुरानी है...
और पुरानी आदतें जल्दी नहीं छूटती...
आदत तुम्हारी ये पुरानी है...
और पुरानी आदतें जल्दी नहीं छूटती...
...भावार्थ
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