Wednesday, December 2, 2009

इकरार !!!

बूँद और सेहरा की तड़प लिए ...
ये लौ आज फ़िर दिए में जली...
नज़रे मेरी पयाम-ऐ-इश्क लिए...
उसकी निगाहों के दरमियाँ चली...
टूक भर निहारा, दर्द न हुआ गवारा...
थाम लिया आगोश ने जकड के...
मनो बुत टूटने ही वाली हो...
ख्यालों के झरोखे से हसरत...
उसके आगोश में डूबने ही वाली हो..
परदे और झीने होते गए...
साये एक एक कर खोते गए...
दो रूह और रात की तन्हाई ...
हाथ में हाथ लिए बैठे रहे...
देखते रहे एक दूजे को....

...भावार्थ

1 comment:

Anonymous said...

my god wat a great peot u r.. mujhe to pata hi nahi tha ki aap likhne ka shaukh rakhte hai..me to fan ho gyi bhavarth ki..