Saturday, December 7, 2013

मत घूरो मुझे

मत घूरो मुझे
बड़ा अजीब सा लगता है
मत घूरो मुझे

झाकने को भीतर मेरे कुछ नहीं है
जो है वो तेरी कल्पना है
एक सिलसिला है तेरे ख्यालों का
एक घोंसला जो तूने बुना है

मत घूरो मुझे
बड़ा अजीब सा लगता है

आंखों से वीभत्स क्यों
हो तुम ओ अजनबी
सिरहन सी दौड़ जाती है
उस नज़र से देखते हो कभी

मत घूरो मुझे
बड़ा अजीब सा लगता है

~ भावार्थ ~ 









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