Tuesday, May 11, 2010

आतुर है !!!


घास की ओर से ओस...
मुट्ठी मैं दबी रेत...
ख़ुशी के दो आँसूं...
पेन के निब से स्याही...
की तरह ...
काज़ल से तेरी हया...
लबो से तेरी अदा ...
झुके सर से तेरी वफ़ा ...
चेहरे से तेरी मोहब्बत...

आतुर है बाहर आने को !!!
जिंदगी को आजमाने को !!!

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